Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2022 · 1 min read

जाने क्यों भूल जाता हूं मैं

देखता हूं जब तेरी आंखों में
जाने क्यों डूब जाता हूं मैं
है गहरी समंदर के जैसी
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।

है इश्क नया नया अभी तो
उसे बहुत याद आता हूं मैं
कुछ दिनों में रुलाएगा बहुत
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।

ढूंढता हूं बस उसे यहां वहां
महफिल में जब जाता हूं मैं
यहां उसका नूर है ही नहीं
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।

याद करता हूं हर पल उसको
उसकी जुदाई में रो जाता हूं मैं
वो मुझसे दूर है ही नहीं
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।

सपने में भी देखकर उसको
दिल से खुश हो जाता हूं मैं
सपनो और हकीकत में फर्क है
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।

उसके इन्तज़ार में आजकल
कई कई घंटे बैठा रहता हूं मैं
है वक्त थोड़ा ही जीवन का
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।

जुदा होने से पहले उससे आज
आखिरी बार मिलने जा रहा हूं मैं
उससे मिलने की खुशी में
जाने क्यों ये भी भूल गया हूं मैं।।

Language: Hindi
7 Likes · 2 Comments · 369 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
" ये धरती है अपनी...
VEDANTA PATEL
वक्त नहीं है
वक्त नहीं है
VINOD CHAUHAN
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
सत्य कुमार प्रेमी
वतन
वतन
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
Rajesh vyas
प्रेम जब निर्मल होता है,
प्रेम जब निर्मल होता है,
हिमांशु Kulshrestha
बचपन
बचपन
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Harsh Malviya
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कैमिकल वाले रंगों से तो,पड़े रंग में भंग।
कैमिकल वाले रंगों से तो,पड़े रंग में भंग।
Neelam Sharma
वर्तमान समय में रिश्तों की स्थिति पर एक टिप्पणी है। कवि कहता
वर्तमान समय में रिश्तों की स्थिति पर एक टिप्पणी है। कवि कहता
पूर्वार्थ
शोषण
शोषण
साहिल
मैनें प्रत्येक प्रकार का हर दर्द सहा,
मैनें प्रत्येक प्रकार का हर दर्द सहा,
Aarti sirsat
दुआओं में जिनको मांगा था।
दुआओं में जिनको मांगा था।
Taj Mohammad
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
आर.एस. 'प्रीतम'
*अपनी-अपनी चमक दिखा कर, सबको ही गुम होना है (मुक्तक)*
*अपनी-अपनी चमक दिखा कर, सबको ही गुम होना है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
काँटा ...
काँटा ...
sushil sarna
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
लगाव
लगाव
Arvina
क़िताबों में दफ़न है हसरत-ए-दिल के ख़्वाब मेरे,
क़िताबों में दफ़न है हसरत-ए-दिल के ख़्वाब मेरे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
शेखर सिंह
(दम)
(दम)
महेश कुमार (हरियाणवी)
तुम वोट अपना मत बेच देना
तुम वोट अपना मत बेच देना
gurudeenverma198
नींद
नींद
Diwakar Mahto
जीवन के बसंत
जीवन के बसंत
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
पंचायती राज दिवस
पंचायती राज दिवस
Bodhisatva kastooriya
वैवाहिक चादर!
वैवाहिक चादर!
कविता झा ‘गीत’
#मैथिली_हाइकु
#मैथिली_हाइकु
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बहुमत
बहुमत
मनोज कर्ण
जीने का हौसला भी
जीने का हौसला भी
Rashmi Sanjay
Loading...