Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Oct 2021 · 1 min read

जाने ऐसा क्यों होता है ? …

गुजर जाने से इंसान के उसकी याद आती है बहुत ,
मगर जीतेजी उसे नजर अंदाज किया जाता है बहुत ।

वो शख्स जो कल तक तो हमारे बीच में मौजूद था ,
हमें मालूम ही नहीं के उसमें खूबियां भी थी बहुत ।

अब कहां से ऐब छुप गए और खूबियां उजागर हो गई,
हमने जिसपर उंगलियां तोहमत की उठाई थी बहुत ।

वो सारे मुहोबत और तशद्दुत के बेशकीमती एहसास ,
तब कहां थे? जिनके लिए वो तरसा करता था बहुत ।

यादें उसकी ज़हन में कहकशा सी कौंधती है जब ,
उस रोशनी में उसका मासूम चेहरा दिखता है बहुत ।

जीतेजी हमने तो उसे कुछ नहीं दिया आहों के सिवा,
वही आहें और आहें हमें अपनी सौगात दे गया बहुत ।

कौन जाने यह मुहोबत है भी या खुदगर्जी रिश्तों की ,
जाने के बाद उसकी इस तरह कमी खलती है बहुत।

यह मतलब की दुनिया है “अनु” मतलब ही अहम है ,
जज़्बात के तराजू में मतलब की कीमत है बहुत

3 Likes · 7 Comments · 479 Views
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

वीरान जाने
वीरान जाने
Kunal Kanth
सबका हो नया साल मुबारक
सबका हो नया साल मुबारक
अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'
कभी उनका
कभी उनका
Dr fauzia Naseem shad
हम जियें  या मरें  तुम्हें क्या फर्क है
हम जियें या मरें तुम्हें क्या फर्क है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपने
अपने
Suraj Mehra
#चुनावी_दंगल
#चुनावी_दंगल
*प्रणय*
सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण
सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण
अशोक कुमार ढोरिया
चोरी की कविताएं पढ़कर
चोरी की कविताएं पढ़कर
Manoj Shrivastava
3295.*पूर्णिका*
3295.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"दिल में"
Dr. Kishan tandon kranti
आकांक्षा की पतंग
आकांक्षा की पतंग
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पुण्य भाव
पुण्य भाव
Rambali Mishra
राम नवमी मना रहे हैं
राम नवमी मना रहे हैं
Sudhir srivastava
"मुश्किलों के आगे मंजिलें हैं ll
पूर्वार्थ
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
Shyam Sundar Subramanian
*जिंदगी-भर फिर न यह, अनमोल पूँजी पाएँगे【 गीतिका】*
*जिंदगी-भर फिर न यह, अनमोल पूँजी पाएँगे【 गीतिका】*
Ravi Prakash
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
शिव प्रताप लोधी
घेरे मे संदेह के, रहता सत्य रमेश
घेरे मे संदेह के, रहता सत्य रमेश
RAMESH SHARMA
मौन की भाषा
मौन की भाषा
Ritu Asooja
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
सत्य कुमार प्रेमी
" क़ैद में ज़िन्दगी "
Chunnu Lal Gupta
गीत- हमें मालूम है जीना...
गीत- हमें मालूम है जीना...
आर.एस. 'प्रीतम'
घटा उमड़ आई
घटा उमड़ आई
C S Santoshi
शिक्षक को शिक्षण करने दो
शिक्षक को शिक्षण करने दो
Sanjay Narayan
रक्षाबंधन - एक अटूट बंधन
रक्षाबंधन - एक अटूट बंधन
Savitri Dhayal
दुर्गा भाभी
दुर्गा भाभी
Dr.Pratibha Prakash
ज्ञान दायिनी
ज्ञान दायिनी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
लेखनी का सफर
लेखनी का सफर
Sunil Maheshwari
लीजिए प्रेम का अवलंब
लीजिए प्रेम का अवलंब
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
चूड़ियाँ
चूड़ियाँ
लक्ष्मी सिंह
Loading...