जानेमन नहीं होती
गम की दहलीज पे मुसीबत कम नहीं होती,
सफर ए इश्क की कोई मजिल नहीं होती |
होकर परेशां जिंदगी से मौत करीब लगती है
करीब से देखो जिंदगी भी हंसी कम नहीं होती |
बाद मुद्दत के मिलता है गम ऐ दोस्त मेरे
खुदा की नैमत हैं शै ए गम हर किसी के हक में नहीं होती |
मुश्किले सब्र को सह कर वक्त ए वस्ल आता है,
जगह ए वस्ल पर देखो जानेमन नहीं होती |
वस्ल ए जानेमन हो भी जाता है मगर ऐ दोस्त मेरे
हसरत ए वस्ल फिर भी कम नहीं होती |
दिल की हसरत है अनंत लिखता रहूं गजल
लफ्ज़ ए गजल में वो दम नहीं होती |