मैं अब क्या करूं ?
शीशा ए दिल टूट गया,
अब इसे कहां फेंकने जाएं ।
अरमान भी जितने थे सब मर गए,
इन्हें दफनाने कहां जाएं ।
सपनो के सुनहरे महल ध्वस्त हो गए ,
अब उनके मलबों का क्या करूं ?
टूटे बिखरे ,लाशों से भरे इस मलबे का ,
अब कुछ नहीं हो सकता ।
इनसे नया महल तो क्या !
मकान भी नहीं बन सकता।
बोलो , खामोश ना रहो !
अब मैं क्या करूं ?