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10 Nov 2019 · 1 min read

जानवरों से प्रेम करो

इंसानो से गर करोगे प्यार
बढ़ाओगे स्नेह का स्तर
बस स्वार्थ के लिये..
नाम के लिए और
शौहरत के वास्ते
मन अशांत रहेगा..
जो स्वभाविक है, मनुष्य जीवन में
तरह-तरह के विचार अच्छे/बुरे
कभी खुद में, और बस खुदी से
कभी सर्वभौमिकता के तौर पर
कभी अच्छा तो बुरा भी कभी
इसका ये, उसका वो..
हलाना,फलाना, ढिमकाना
और भी न जाने क्या-क्या
मजबूरन कभी हाँ पर बस हांमी
जनमानुष के साथ…
अपितु.. जानवरो से प्रेम
निश्चल होता है, निस्वार्थ बिल्कुल
न आशा, न निराशा..
लेना भी नहीं देना भी नहीं
बस सुखी मन, अपार अपनत्व
न राग, न द्वेष, न भेद न भाव
न रूप न रंग, न जात और
न पात, न अपना न पराया
बेझिझक, सौहाद्रपूर्ण, स्वविवेक
बस प्रेम, प्रेम, प्रेम और बस प्रेम।

________________________
✍️Brij

Language: Hindi
262 Views
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