जादूगर
एक जादूगर की कहानी उसकी परी की ज़ुबानी,
एक प्यारी सी परी थी एक जादूगर के पास,
वह उसके लिया थी बेहद खास,
रोज़ सुबह वह उसे जगाता,
खुले आसमां में उड़ना सिखाता,
कभी वह गिरती उसे चोट भी लग जाती,
उस जादूगर के मुँह से आह निकल आती,
पर सब्र करके उसने हिम्मत बंधाई,
परी को फिर उड़ने की वजह समझाई,
उसने परी को पढ़ाया लिखाया,
खुद को उजाड़ कर उसके सपनों को सजाया,
एक दिन उसकी मेहनत रंग लाई,
परी ने अपनी मंज़िल पाई,
खुद बैठा वह ज़मी पर उसे दिया आसमां,
खूबसूरत सी इस दुनिया में परी को मिली एक पहचान,
जादूगर की आँखों का तारा चमकता सितारा बन गई,
उसकी ज़िंदगी में वह उसका सहारा बन गई,
ज़िंदगी देने वाली उस शक्ति को हम भगवान कहते हैं,
ज़िंदगी सवारने वाले उस जादूगर को हम पापा कहते हैं।
– वैष्णवी गुप्ता(Vaishu)
कौशांबी