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16 Jan 2024 · 1 min read

*जाते साधक ध्यान में (कुंडलिया)*

जाते साधक ध्यान में, पाते ब्रह्म महान (कुंडलिया)
_________________________
जाते साधक ध्यान में, पाते ब्रह्म महान
कभी लगा यह है कठिन, कभी लगा आसान
कभी लगा आसान, प्रबल बाधाऍं आतीं
काम क्रोध मद मोह, व्याधियॉं ढेर सतातीं
कहते रवि कविराय, नाद-अनहद ऋषि गाते
जिनके मन निष्काम, ब्रह्म तक वह ही जाते
_______________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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