जाति भेदभाव की ये जिंदगी कब तक यू ही चलती रहेगी
जाति भेदभाव की ये जिंदगी
कब तक यू ही चलती रहेगी
कब तक इसके नाम पर
यू लोग लड़ते झगडते रहेगे
क्या हो गयी है सोच हमारी
जिसमे हम बहते चले गए है
इंसान ही इंसानियत के टुकडे करने लगा है
जाति के नाम पर बस ज़हर घोलने लगा है
अफ़सोस होता है ऐसे लोगों पर
जो जाति का बहाना बनाते है
जाति के नाम पर खेल खेल जाते है
असल में किसी की जाति
उसे गलत नही सीखाती है
अगर इंसान की सोच ही गलत हो
तो इसमे जाति कहा से बीच में आती है
क्या देना चाहते है हम आने वाली पीढ़ी को
सिर्फ झगड़े और अलगाव
जरा सोच कर देखिए
जाति भेदभाव की ये जिंदगी
कब यू ही चलती रहेगी
श्री रावत,,