जाता और एक साल।
हर मुश्किल घड़ी जीवन की,
अपने आप में कमाल है,
तमाम अनुभवों का तोहफा देकर,
जाता और एक साल है,
क्या मिलेगी दिशा नई जीवन को,
हर पल यही सवाल है,
इतिहास बनाने का आशीष दे कर,
इतिहास बनता और एक साल है,
रहेगी निराशा आखिर कब तक,
कि हौसला बना जीवन की ढाल है,
हर सफलता का विश्वास दिला कर,
जाता और एक साल है,
माना कि दिन बीते मुश्किल,
जीना भी हुआ मुहाल है,
पर बेहतर कल की उम्मीद जगा कर,
जाता और एक साल है,
मुश्किलों से शिकायत करनी कैसी,
सब इस वक्त की चाल है,
कभी ना मानो हार सिखा कर,
जाता और एक साल है।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।