जाड़ों की यह नानी (बाल कविता )
जाड़ों की यह नानी (बाल कविता )
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चुलबुल शोख फरवरी आई
आकर मुक्का मारा,
बोली हैलो ! तगड़ा कितना
जाड़ा रहा हमारा ।।
इसमें देखो कितना कोहरा
पहले कभी न आया,
सूर्य देवता को भी हमने
इसमें खूब छकाया ।।
सभी महीने बोले मिलकर
माह फरवरी रानी ,
इसे न समझो सिर्फ बसंती
जाड़ों की यह नानी ।।
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )मोबाइल 99976 15451