जाग कसौधन, वीर कसौधन
जाग कसौधन, वीर कसौधन,
मन का दिप जला!
गाँव शहर में है अंधियारी
गली गली में है चिंगारी
उस चिंगारी को मशाल बनाकर
एक नया इतिहास बना !!
धीरे धीरे लोग जुड़ेंगे
बढ़ जाएगी तेरी ताकत
उस ताकत का मंथन कर के
एक नया इतिहास बना !!
झूठे अहंकार में फंसे हूए हैं
कर्म कांड में उलझे हूए हैं
ज्ञान प्रकाश दिखाकर बंधु
एक नया इतिहास बना !!
अजब गज़ब सी तस्वीर बनी है
समाज तितर बितर गया है
एक होकर,एक कराकर, एक नयी पहचान बना
एक नया इतिहास बना !!
जाग कसौधन, वीर कसौधन
मन का दिप जला!!
प्रोफ़ेसर दिनेश किशोर गुप्ता
८००७१७९७४७