” जागीर “
” जागीर ”
रचनाएँ मेरी जागीर बन गई,
सारे जमाने की तस्वीर बन गई।
जोड़ूँ तोड़ूँ घटाऊँ कि बढाऊँ,
ये मेरी मर्जी की तासीर बन गई।
” जागीर ”
रचनाएँ मेरी जागीर बन गई,
सारे जमाने की तस्वीर बन गई।
जोड़ूँ तोड़ूँ घटाऊँ कि बढाऊँ,
ये मेरी मर्जी की तासीर बन गई।