जागती रात अकेली-सी लगे।
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जागती रात अकेली-सी लगे।
दर्द तन्हाई सहेली-सी लगे।
जब से छोड़ कर तुम गये जाना।
रूह विरान हवेली-सी लगे।
तुम बिन जीना भी क्या जीना प्रिय ,
जीवन उलझी पहेली – सी लगे।
सब रंग फीके हैं तुम बिन पिया,
एक संग तेरा भली-सी लगे।
प्रिय प्यार तुम्हारा महके ऐसे,
सुगंध चंपा-चमेली-सी लगे।
तेरी यादों की ओढ़नी ओढ़,
दर्दे-गम भी नवेली – सी लगे।
? ? ? ? – लक्ष्मी सिंह ? ☺