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22 Feb 2024 · 1 min read

जाके हॄदय में राम बसे

जाके हॄदय में राम बसे
नेह संपत्ति रत्नाकर जसे
सुंदर,मनोहर रूप तब लयो
सुख,प्रमोद,उल्लास ते दयो।

मनभावन रमणीक दिखलाये
ले जानकी संग प्रभु आये
दमके भाल प्रखर उजियारा
दीपक, ज्योति,रविकर न्यारा।

प्रेम ,भक्ति ते जस ये गायो
दुःख,दारिद्रय निकट न आयो
प्रभु इतनो काज तुम कीन्हा
शांति,सत्संग,मोहे दीन्हा।

राम चरन ही सरोज समाना
दुख,दारिद्रय कष्ट निदाना
रामचन्द्र मन प्रीत लगाई
बसे चित्त सदैव रघुराई।

जपत रघुवीर एहि गुन गाये
परमपद कमल तें ही पाये
मुख मंडल उज्जवलही जैसे
नव उदय भानू तब कैसे।

देखत जब रघुवीर हनुमाना
निसदिन हर्ष,प्रमोद समाना
पवनसुत है तब गले लगायो
मन कपीस आनंद हर्षायो।

राम बिन कछु होय न बारा
जपत रघुनाथ नाम अपारा
राम राम नाम जब ही लयो
परमानंद सुख सागर भयो।

✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

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