जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
तड़पा लो हमें तुम मुझे जितना तड़पाना चाहती हो
ताकि तेरा तड़पाने का शौक पूरा हो जाये ।
अजी हमारा क्या है हम तो उलझ गये थे आपके प्रेम में,
हमें लगा कि आपको शायद हमसे मोहब्बत हो गयी है,
मगर हम गलत थे जो आपको पहचान ना सके,
अब किसी का मजाल नहीं है जो हमें कभी तड़पा सकेगा ।
कुछ मजबुरियाँ जिम्मेदारीयों की होती हैं,
ये वही जिम्मेदारियाँ हैं जो हमें अभी तक बाँधे हुए है ।
वर्ना तुम हो या कोई और हो,
वो हमें तड़पा दे ऐसा हो ही नहीं सकता ।
क्योंकि आज हम भी किसी के और हमारा भी कोई और हाथ थामे हुए हैं ।।
अब खिलखिलाओ जितना खिलखिलाना है,
तुम हँसो जितना हँसना है,
क्योंकि अब ये दुनिया मुझपर नहीं तुमपर हँसने वाली है ।
समय आने दो थोड़ा इंतजार करो सब पता चल जायेगा और सबको पता चल जायेगा ।।
लेखक :– मनमोहन कृष्ण
तारीख :– 10/07/2024
समय :– 04 : 38 (रात्रि)