ज़ुल्म हो दुश्मन हो
ज़ुल्म हो दुश्मन हो चाहे आंधियां तूफ़ान हो
झुक नहीं सकते है कभी,संसार को रूकने ना देंगे
भूखा प्यासा आदमी वो भूख कैसे जिये
आदमी को जानवर सा हम कभी मरने ना देंगे
ईश्वर हो इष्ट हो या हो खुदा तू देवता
वेदों के उस लेख को हम यूं मिटने ना देंगे
धूप थी पर छांव भी ,अब ज़ुल्मो का साया घना
मौत के चंडाल को हम यूं सदा चलने ना देंगे
‘कृष्णा’रह तू सादगीसे कृष्णा से तू प्यारकर
प्रेम के प्रेमी पुजारी यूं तुझे मरने ना देंगे