ज़िन्दगी
यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं ,
हर मोड़ पर अपना रंग बदल देती हैं
कोई अपने बेगाने हो जाते हैं ,
तो कोई पराया अपना हो जाता हैं
यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं ,
हर मोड़ पर कुछ नया सिखाती हैं
कभी खुशिया भर -भर के आती है,
तो कभी-कभी दुःख के बादल हर रोज बरसते हैं
यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं ,
हर मोड़ पर एक नया मुकाम बनाती हैं
इस ज़िन्दगी से हर रोज किसी न किसी को शिकायत होती है ,
तो कोई इसकी प्रशंसा करता हैं
यें ज़िन्दगी कभी खामोश रहती हैं ,
और कभी-कभी बिन कहे कुछ कह जाती हैं
यें ज़िन्दगी दुश्मनों के साथ रहकर,
अपनों को धोका दे जाती हैं
यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं ,
हर मोड़ पर एक नया रंग दे जाती हैं