ज़िन्दगी के मंजर
देखी जो हकीकते मासूम बने चेहरों की
मै तो बस थम के रह गई हूं
कहा है कौफ मुझे मौत से,
मै अब जिंदगी से डर गई हूं
अंधेरे रास्तों पर
चल कर पीछे जुग्नुओ के
मै अब खुद में ही भटक रही हूं
पता नहीं कौन सा खुदा लिख रहा है पन्ने मेरी तकदीर के
मरने की हवा में जी जी कर बह रही हूं
कहा है कौफ मुझे मौत से,
मै अब जिंदगी से डर गई हूं।
अनंत प्रेम से लेकर अताह दर्द में डूबी हुई
ना इस पार ना उस पार
मै मरे एहसासों को ढो रहीं हूं
कहा है कौफ मुझे मौत से,
मै अब जिंदगी से डर गई हूं