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25 Jan 2017 · 1 min read

ज़िन्दगी की उलझनें

ज़िन्दगी की उलझने कभी कभी इतना सताती हैं
मुझे अपने बचपन के हसीन लम्हें याद दिलाती हैं।
माँ का आँचल ,पिता का वो प्यार भरा स्पर्श
हर दुःख में मुझे उनकी प्यारी बातें याद आती हैं
आज हर इंसान स्वार्थी ,हर शख्स खुदगर्ज़ है
ईश्वर तुम्हारी दुनिया कितनी मैली नज़र आती है।
मन के भोले लोगों को काँटों से गुज़रना पड़ता है
बुराई यहाँ आज भी फूलों से पूजी जाती है
ज़िन्दगी की उलझने कभी कभी कितना सताती हैं।

Language: Hindi
1 Comment · 476 Views
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