बरसात
चंद झीटे झिडक कहती मै बरसात हू!
आसाम,बिहार मे, मै ही भितरघात हू!!
नही इसमे दोष हमारा सब तेरी करनी
कोई नगर विन्यास मानदंड न पात हू!!
बेतरतीब सडक,बाध औ कालौनिया!
अगणित टन रेत मलबे की सौगात हू!!
उथले हो गए सब नदिया,नाले,पोखर!
फिर कहा समायोजित जल प्रपात हू!!
प्रति वर्ष बाढ आपदा प्रबंधन पर खर्च,
पर नदियो के उथले होने का उत्पात हू!!