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29 Jun 2022 · 1 min read

ज़िंदगी पर लिखी शायरी

ज़िंदगी तुझसे इतना तो निभा ही देंगे ।
अपने होने की हम खुद ही गवाही देंगे ।।

ज़िंदगी का सवाल देता है ।
मुझको मुश्किल में डाल देता ।।
जो हक़ीक़त कभी नहीं होंगे ।
क्यों मुझे वो ख़याल देता है ।।

देख लेते हम अपनी आंखों से ।
ज़िंदगी ख़्वाब तो नहीं होती ।।

ज़िंदगी सबको अच्छी लगती है ।
लोग मजबूर हो के मरते हैं ।।

बस ख़ाली हाथों के सिवा ।
ज़िंदगी तेरा हासिल क्या है ।।

तुझसे बस तेरा ही पता चाहे ।
ज़िंदगी तुझसे और क्या चाहे ।।

थाम पाया न जिसका कोई मुख़्तसर लम्हा ।
ज़िंदगी हाथ से झड़ती रेत हो जैसे ।।

सांस एक भी नहीं तेरे बस में ।
ज़िंदगी का गुरूर कैसा है ।।

पढ़ने की कोशिशें सभी बेकार हैं तेरी ।
लफ़्ज़ों में ज़िंदगी को समेटा न जाएगा ।।

ज़िंदगी तुझसे यहाँ कौन कटा होता है ।
दर्द हर सांस के हिस्से में बंटा होता है ।।

उम्र भर हो न पाई भरपाई ।
कितनी टुकड़ों में ज़िंदगी पाई ।।

शुरू होती ख़त्म जहाँ से है ।
ज़िंदगी तेरी हद कहाँ से है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
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