ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
माला में मोती जैसे फिर से पिरोया है
गुजरे हुए लम्हों को मैंने समेटकर
खुद को मैंने अश्क़ों के समुंदर मे डुबोया है
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
माला में मोती जैसे फिर से पिरोया है
गुजरे हुए लम्हों को मैंने समेटकर
खुद को मैंने अश्क़ों के समुंदर मे डुबोया है