ज़िंदगी की दौड़ में —-
ज़िंदगी की दौड़ में —–
कितनी मुश्किल है ये ज़िंदगी कोई जाने ना ,
किसी को बताने को मन माने ना ।
ए मन ! तू ही बता क्या ऐसा करें कि,
खुशियाँ हों हर तरफ कटुता फैले ना ।
कितनी ही कोशिश करें हम पर ,
उम्मीदों का सिलसिला बढ़ाती है दुनियां ।
हर किसी की तरह चलने की कोशिश में ,
हर पल का चैन हरती है दुनियाँ ।
ये ना समझे कि डर गए हम,
उन की साज़िश में फँस गए हम।
कुदरत का करिश्मा है हर चीज़,
बढ़ के थामें हाथ बन के अज़ीज़ ।
राह न नज़र आती कोई,
दिखती नहीं मंज़िल भी पास ।
राही हैं संग चलते हुए ,
चेहरे पे लिए इक आस ।
सुंदर समय आएगा ,
सुहाने सपनों जैसा ।
मिल कर रहेंगे सब ,
ना जाने कौन कहाँ होगा।
यहाँ होगा, वहाँ होगा ,
या फिर जहां पर भी होगा ।
जीवन की दौड़ में बस,
वह सब से आगे ही होगा।