ज़़बांं जो शाायराानाा जाानताा हैै
परिन्दा ..आशियाना जानता है
फ़क़्त अपना ठिकाना जानता है
अलम बरदार है तहज़ीब नौ का
ज़बां जो शायराना ..जानता है
उसी को प्यार मिलता है जहाँ में
जो ऐबों को ..छुपाना जानता है
अभी मैं खुद से भी वाक़िफ़ नहीं हूँ
मुझे सारा…. ज़माना जानता है
उसी को ढूँढता फिरता हूँ सालिब
वो जो दिल को दुखाना जानता है
सालिब चन्दियानवी