ज़हरीली शराब
ये कैसी खामोशी है
है ये कैसा सन्नाटा
कोई कुछ कहता नहीं
सब लग रहे है गमगीन
पास पड़े हैं कुछ गिलास
और थोड़ी सी नमकीन
कोई तो घटना घटी है
जो बेसुध पड़े दो लोग
चिंता हो रही होगी इनकी
घर नहीं पहुंचे जो लोग।।
थी पीने की आदत इनको
कहीं उसी की भेंट तो नहीं चढ़े
लगता है ज़हरीली शराब
पीकर ही है बेहोश होकर पड़े।।
पैसों की भूख,चंद भेड़ियों की
निगलने को आतुर है जीवन इनका
पीने के ललक इनकी बना गई रास्ता
चलने को आखिरी सफर इनका।।
कौन संभालेगा परिवार इनके
किसके भरोसे पलेंगे बच्चे इनके
जाने किसकी नज़र लग गई
अभी तो चल रहे थे दिन अच्छे इनके।।
चंद रुपयों के फायदे के लिए
ये जीवन मासूमों का उजाड़ गए
अक्सर सुनने को मिलती ऐसी घटनाएं तो
हम शराब माफिया का क्या उखाड़ गए।।
जो करते है धंधा अवैध शराब का
उनको सबक सिखाना होगा
कुछ तो करना होगा अब हमें
ऐसी घटनाओं को रोकना होगा।।