कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
यह अपना रिश्ता कभी होगा नहीं
बुंदेली दोहा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ग़ज़ल _ असुरों के आतंक थे ज़्यादा, कृष्णा ने अवतार लिया ,
मैं नहीं हूं अपने पापा की परी
గురు శిష్యుల బంధము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जानती हो दोस्त ! तुम्हारी याद इक नाव लेकर आती है। एक ऐसी नाव
हुईं क्रांति
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।