"मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्छा है,
सन्देश खाली
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
""बहुत दिनों से दूर थे तुमसे _
*माला फूलों की मधुर, फूलों का श्रंगार (कुंडलिया)*
परहेज बहुत करते है दौलतमंदो से मिलने में हम
आ लौट के आजा टंट्या भील
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
यदि आप किसी काम को वक्त देंगे तो वह काम एक दिन आपका वक्त नही
जीवन दर्शन मेरी नजर से ...
किया जाता नहीं रुसवा किसी को
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"