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हिमांशु Kulshrestha
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12 Oct 2024 · 1 min read
ज़ख्म आज भी
ज़ख्म आज भी
बहुत गहरे हैं दिल में
मगर हम उनसे
कोई गिला नहीं रखते
हिमांशु Kulshrestha
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