जहाँ सुमति ——–
जहां सुमति …………….
गोधूलि की बेला थी , गाँव –गाँव दुधारू पशु धूल उड़ाते हुये अपने अपने निवास की ओर अग्रसर थे । सूरज की किरने धूल की धुन्ध मे शनै -शनै मद्धम हो रही थी । मानो प्रकृति रूपी सुंदरी अपना अपना शृंगार कर बड़ी सी लाल बिंदी लगा अपने प्रियतम का इंतजार कर रही है और स्वयं ही अपनी सुंदरता से लजा अपना घूँघट ओढ़ रही है । क्षितिज पर सूरज डूब चुका है । ग्रामीण अपने –अपने घरों मे दैनिक दिनचर्या मे व्यस्त हो गए हैं । कोई दूध दुहने की तैयारी कर रहा है । कोई चारा भूसी खिलाने की । महिलाएं भोजन बना कर अपने –अपने बच्चों एवम पतियों को भोजन कराने की तैयारी कर रही हैं । दीपक जल रहे हैं। रात्रि देवता का आगमन हो चुका है । बच्चे अपनी किताब कॉपी खोले लालटेन की रोशनी कही अध्ययन , लेखन और कहीं कहीं हंसी –ठिठोली मे व्यस्त हैं । चूल्हे की रोशनी में गौरीका चेहरा दमक रहा है । गौरी दो बच्चो की माँ है उसके पास गोधन के अतिरिक्त चार बीघा खेती की जमीन है । वो एवम उसका पति दोनों इंटर पास हैं । गाँव में ही इंटर कॉलेज है जो लड़कियो और लड़को के लिए है गौरी के पति गणेश की उम्र करीब 23 वर्ष एवम गौरी की उम्र 20 वर्ष है ।
दोनों का दाम्पत्य जीवन सुखमय है गृहस्थी का गुजारा अच्छे से हो रहा है । सोनू कक्षा 5एवम मोनू कक्षा 3 के छात्र हैं। गाँव मे स्थित सरकारी स्कूल मे दोनों पढ़ने जाते हैं । दोनों बच्चे पढ़ने में बहुत तेज हैं । कभी –कभी आपस में कॉपी –पेंसिल के लिए झगड़ा भी करते हैं । कभी कभी भोजन करने के समय बड़ी थाली –छोटी थाली के लिए भी विवाद करते हैं । कभी मिठाई के अधिक हिस्से के लिए रोते और झगड़ते हैं , परंतु उन्हे माँ के अश्रु नहीं बर्दाश्त है । यदि माँ ने दुखी होकर दो आंशू भी बहा दिये तो मानो वातावरण को लकवा मार जाता है । सन्नाटा भी चहल –पहल के लिए रोता है ।
माँ कहती है –तुम दोनों मेरी बात नहीं मानते हो यदि आगे लड़ना –झगड़ना बंद नहीं किया तो मै या तो जहर खा लूँगी या आग लगा कर मर जाऊँगी ।
माँ के जाने के अहसास से ही वे दोनों सहम जाते हैं । उन्हे अहसास होता है कि उन्होने बहुत बड़ा गलत कार्य किया है अत :dओनों सहम कर आँखों में अश्रु लिए बड़ी ही मासूमियत से बोलते हैं –माँ माफ कर दो अब कभी नहीं लड़ेगे ।
और सहज हृदया माँ उन्हेगले लगा कर सचमुच माफ कर देती है । बच्चे पुन :बैर –भाव भुला कर सहज हो जाते हैं माँ के आश्वासन के बाद उनका आत्मविश्वास पुन :लौट आया है । चहल –पहल पुन :लौट आयी है । मोनू-सोनू के पापा गाय के दूध का दोहन करके व अन्य घरों मे पहुचाने के बाद अभी घर नहीं लौटे हैं रात्रि स्याह हो चली है । शीत ऋतु मे वैसे ही रात्रि का अंधकार शीघ्रता से दिन के उजाले को निगल जाता है । रात्रि का प्रथम प्रहर है । गौरी मोनू के पापा कि प्रतीक्षा कर रही है , और धीरे –धीरे खीझ कर बड़बड़ा भी रही है –कहाँ रुक गए ?अबतक तो बताकर जाना उन्होने सीखा ही नहीं । आज भी नहीं बताया— इस गाँव मे जंगली जानवरो एवम शराबियों का खतरा रहता है । आएदिन टकराते रहते हैं । उसीदिनपरसों रात मे कमला के बप्पा से शराबियों ने पैसे छीन लिए थे । और मारा पीटा भी था, वो तो अच्छा हुआ कि ज्यादा चोट नहीं आयी थी वरना लेने के देने पड़ जाते । इतना सब हो चुका है परंतु मोनू का पापा मेरी तो सुनते ही नहीं ।
रात्रि के प्रहार मे रह रह कर ग्राम सिंघो के भोकने की आवाज़ेनीरवता को भंग कर रही थी । वही गौरी को आश्वस्त भी कर जाती कि कही मोनू के पापा का आगमन तो नहीं हो रहा है ।
रात्रि के 8 बज चुके हैं , मोनू के पापा ने लड़खड़ाते कदमो से घर मे प्रवेश किया ।गौरी ,ओ गौरी –खाना निकाल , बड़ी ज़ोर से भूख लगी है ।
गौरी आज अचरज से मोनू के पापा को देख रही थी । मोनू के पापा ने प्रथम बार शराब के नशे मे घर मे प्रवेश किया था । उसने पूछा –ए , जी क्या हुआ आज आपने शराब पी है ।
नहीं मोनू की माँ –कमला के बेटे का ब्याह था । उसी खुशी मे आज पी ली । रोज थोड़े ही पीता हूँ ।
नहीं जी, ये अच्छी बात नहीं है थोड़ी हो या अधिक , गलती तो गलती होती है । मेरी कसम खा के कहो आज के बाद कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाओगे । देखो झूठी कसम मत खाना , जिंदगी भर साथ निभाने का वादा करके लाये हो । विश्वास मत तोड़ना । पति –पत्नी के रिश्ते की डोर विश्वास पर ही टिकी होती है । ये शराब की लत एक बार मुंह लग जाए तो घर का सुख –शांति का सत्यानाश करके ही छोडती है । ऊपर से जितनी तुम शराब पियोगे ए मुई उतना ही तुम्हें अंदर से खोखला कर देगी । अगर तुम्हें कुछ असमय ही हो गया तो मै इन बच्चो को लेकर कहाँ जाऊँगी । इनकी देखभाल कौन करेगा । कहते कहते मोनू की माँ के अश्रु गिरने लगे. रोते –रोते उसने कहना जारी रखा ।मोनू के पापा अगर घर की सारी कमाई शराब की लत मेही लुटा दोगे तो इन बच्चो को क्या भूखा मारोगे । घर खेती सब गिरवी हो जाएगा । मोनू के पापा आपसे हाथ जोड़ कर विनती है कि आज से शराब को हाथ भी नहीं लगाना । मेरी खातिर न सही इन छोटे छोटे बच्चो के खातिर अपने कदम वापस खींच लो ।
तभी खबर आई, पड़ोस का लड़का दिलीप दौड़ा –दौड़ा आया –चाचा , चाचा जल्दी चलो , कमला के बाप कि तबीयत बहुत खराब है । कमला का बाप पुराना शराबी था । उसे शराब कि बुरी लत थी , रोज शराब पीता और यार दोस्तों को पिलाता था । उसका जिगर खराब हो चुका था , आंखो के आगे गड्ढे पड़ गए थे । शरीर जीर्ण –शीर्ण हो गया था , वह लड़खड़ाते हुए जिधर से भी निकाल जाता लोगबाग मुंह फेर लेते थे । उसके सम्पूर्ण शरीर मे सूजन आ गयी थी । डाक्टर ने जबाव दे दिया था , उसके बावजूद पीने कि आदत का त्याग उसने नहीं किया था । उसके पेट मे बहुत तेज दर्द उठा था व खून कि उल्टी भी हुई थी । लगता था कि जैसे कुछ ही घंटो का मेहमान है ।
गणेश और दिलीप उसके घर पहुंचे । सभी पास पड़ोस के लोग आस पास जमा हो गए थे । कमला का बाप अपने बेटे से कह रहा था , बेटा इस शराब ने मुझे कही का न छोड़ा । बेटा आज एक वचन दे दो , किसी के भी कहने के बावजूद शराब को हाथ भी नहीं लगाओगे । अब ये घर तेरा है तू ही इसका मालिक है , मेरे जाने का वक्त आ गया है , उसने लड़खड़ाती जुबान से कहा ।
उसका बेटा अपने बाप कि हालत देख कर जार – जार रो रहा था। उसने रोते –रोते कहा , हाँ बापू! आपके बाद इस घरमे कोई भी शराब को हाथ नहीं लगाएगा । उसका दिल टूट चुका था । अपने बाप की असमय मृत्यु ने उसे व उसके परिवार को बुरी तरह से व्यथित कर दिया था । गणेश की आँखों से भी अश्रु बह निकले थे । उसने शराब के बुरे अंजाम को साकार होते हुए देखा था । उसके सामने अपने दोनो बच्चो के मासूम चेहरे घूम गए । उसे लगा गौरी सही कह रही थी जरा सी खुशी के लिए दुनिया के यथार्थ को झुठला कर सपनों की दुनिया मे जीना कहाँ तक उचित है । यह तो वास्तविकता से पलायन है ,वास्तविकता से मुंह मोड़ कर कल्पना की दुनिया मे कायर ही रहते हैं संघर्षो मे जीकर संघर्षो पर विजय पाकर जीवन जीने की वास्तविक कला को जाना जा सकता है और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी बना जा सकता है ।
आज गौरी और गणेश का सुखमय परिवार समाज का आदर्श परिवार है । उनके यहाँ शांति है , समृद्धि है , संपन्नता है क्योंकि उन्होने श्री राम चरित मानस के इस मंत्र को अपने जीवन मे आत्मसात कर लिया है ।
“ जहां सुमति तहां संपति नाना , जहां कुमति तहां विपति निधाना । “
04 -01 2016
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
इंचार्ज ब्लड बैंक , सीतापुर ।