जहाँ शिव वहाँ शक्ति’
ॐ नमः शिवायः
‘जहाँ शिव वहाँ शक्ति’
अदभुत लीला है परमपिता की,
संसार उसी का रचाया है।।
शिव है शक्ति की रूह अगर,
शक्ति शिव का साया है।
है समाई शक्ति शिव में,
शिव भी शक्ति में समाया है।
शिव है शक्ति की रूह अगर,
शक्ति शिव का साया है।
करते सबका उद्धार ये,
असुरों से भी बचाया है।
शिव है शक्ति की रूह अगर,
शक्ति शिव का साया है।
जब भी आया संकट धरा पे,
महाकाल बनकर आया है।
शिव है शक्ति की रूह अगर,
शक्ति शिव का साया है।
शिव-शक्ति का योग प्रभु,
संजोग से ही बनाया है।
शिव है शक्ति की रूह अगर,
शक्ति शिव का साया है।
जहाँ शिव वहाँ शक्ति,
प्रेम अलौकिक फैलाया है।
शिव है शक्ति की रूह अगर,
शक्ति शिव का साया है।
डूबो इनकी प्रेम भक्ति में,
नफरतों को काहे गले लगाया है?
शिव है शक्ति की रूह अगर,
शक्ति शिव का साया है।
–सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र)