जवानों की याद में
हम आहत हैं
सेना लहूलुहान
हे वीरो, मेरी लेखनी
करती तुझे सलाम ।
संकट की घड़ी में
देश साथ रहे
घरनी पर तेरे
ईश्वर का हाथ रहे ;
तेरे बलिदानों की बदला
तेरे साथी लेंगे
वे एक बार नही
कई बार लड़ेंगे ।
दुष्ट-दरिंदों की क्या गिनती
वे मानवता के दुश्मन है
बर्बाद कर देते हैं
जो खिलते चमन हैं ।
साहिल ?☺️?