*जल-संकट (दोहे)*
जल-संकट (दोहे)
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1)
पानी का संकट बढ़ा, अब भूतिया मकान
महानगर के फ्लैट भी, लगते हैं शमशान
2)
यों तो मल्टीप्लेक्स हैं, यों तो मॉल तमाम
शहरों में यदि जल नहीं, तो फिर क्या आराम
3)
ईंट और सीमेंट के, बनते भव्य मकान
पानी यदि उनमें नहीं, दुखी सभी इंसान
4)
याद करेगा एक दिन, नदियों को इंसान
सूखेंगे घर के कुऍं, क्या होगा भगवान
5)
बाजारों में बिक रहा, पानी बोतलबंद
जल-संकट सिर पर खड़ा, समझो कुछ मतिमंद
6)
मछली जैसे जल बिना, जीती कुछ ही देर
संकट में यों लग रहा, मानव देर-सबेर
7)
बिना नहाए हो रहा, मुखमंडल ज्यों शूल
पानी-संकट छा रहा, मुरझाए हैं फूल
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451