जल दिवस
धरती मां की सुनो चीस
कह रही चीख -चीख
जल ही जीवन दे रही सीख
समझा- समझा कर थकी हारी
सूख रहे ताल कूप,जल धारा
फूलों को तरसे आंगन की क्यारी,
जीव मंडल से जल ना हरना
देखो मुझे मरुँ ना करना
बूंद बूंद संग्राहीत करना
गंभीरता से सोचो जल का महत्व
कहीं भविष्य को भयभीत न करना।
✍©अरुणा डोगरा शर्मा