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15 Jun 2023 · 1 min read

जलाया जाऊँ

लहजा जबसे रखा उबूदियत ए मीर का
खौफ नहीं गोला बारूद खंजर तीर का

मैं जिंदा गाड़ा जाऊँ या जलाया जाऊँ
ये मस’अला है कुछ मजहबी जमीर का

मुहब्बत में इंसा क्या क्या कर जाता है
आओ सुनाऊँ अफ़साना जू-ए-शीर का

ये मिरा फैसला था सो तुराब हो गया
इसमें ज़रा भी हाथ नहीं तक़दीर का

रास्त लिखने का इक मुनाफ़ा ये भी हुआ
कि फ़त्वा जारी हो रहा मुझपे तकफ़ीर का

मुझको जमीं से मिटा कर रख देंगे कामिल
ये जज़्बा है कुछ चलती फिरती तस्वीर का
@कुनु

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