Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2024 · 1 min read

जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना

जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
यही इच्छा है मेरी जिसे हरगिज ना ठुकराना
जलाना आग में ना ही………..
किसी के काम आ जाए सुनो मिट्टी की ये काया
मेरा तन सौंप देना तुम ना कोई रस्में निभाना
जलाना आग में ना ही…………
अगर अंधे को ये आंखें मिले वह देख ले दुनिया
सदा जलते रहे दीपक इन्हें हरगिज ना बुझाना
जलाना आग में ना ही…………
मेरे तन का कोई ये अंग किसी के काम आ जाए
मैं मरकर भी रहूॅ॑ जिंदा यूं बन जाऊं अफसाना
जलाना आग में ना ही…………
अगर नियती है भाग्य की जन्म लेना फ़नाह होना
मेरी मैयत पे आकर के कोई दुख ना जताना
जलाना आग में ना ही………….
वसीयत है मेरी यह देह यूॅ॑ही बस बेकार ना जाए
सुनो “V9द” ये चाहे दिलों में यूॅ॑ ही मुस्काना
जलाना आग में ना ही………….

2 Likes · 115 Views
Books from VINOD CHAUHAN
View all

You may also like these posts

मोहे वृंदावन न भायै, .....(ऊधो प्रसंग)
मोहे वृंदावन न भायै, .....(ऊधो प्रसंग)
पं अंजू पांडेय अश्रु
प्रशंसा नहीं करते ना देते टिप्पणी जो ,
प्रशंसा नहीं करते ना देते टिप्पणी जो ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*नासमझ*
*नासमझ*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सफलता का मुकाम
सफलता का मुकाम
Avani Yadav
*रे इन्सा क्यों करता तकरार*
*रे इन्सा क्यों करता तकरार*
Dushyant Kumar
सरिता मंजिल
सरिता मंजिल
C S Santoshi
बाजार
बाजार
surenderpal vaidya
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
Radha Bablu mishra
शिवशक्ति
शिवशक्ति
Sudhir srivastava
रचना प्रेमी, रचनाकार
रचना प्रेमी, रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
* क्यों इस कदर बदल गया सब कुछ*
* क्यों इस कदर बदल गया सब कुछ*
Vaishaligoel
मेरी दादी मुझसे बहुत लाड़ लडाती  थी।
मेरी दादी मुझसे बहुत लाड़ लडाती थी।
Karuna Goswami
वो मुझे बस इतना चाहती है,
वो मुझे बस इतना चाहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"इंसान को"
Dr. Kishan tandon kranti
रोटी
रोटी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
प्रेमिका और पत्नी
प्रेमिका और पत्नी
Acharya Rama Nand Mandal
पागल बना दिया
पागल बना दिया
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
19--🌸उदासीनता 🌸
19--🌸उदासीनता 🌸
Mahima shukla
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
उपवास
उपवास
Kanchan verma
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
Manju sagar
बुंदेली दोहा- तिगैला
बुंदेली दोहा- तिगैला
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
Dr Manju Saini
लफ्ज़ भूल जाते हैं.....
लफ्ज़ भूल जाते हैं.....
हिमांशु Kulshrestha
मैं कविता नहीं लिखती
मैं कविता नहीं लिखती
Priya Maithil
आकार
आकार
Shweta Soni
घनाक्षरी- पेड़ की कृपा
घनाक्षरी- पेड़ की कृपा
आकाश महेशपुरी
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
Neeraj Agarwal
दोहा पंचक. . . .  अलि
दोहा पंचक. . . . अलि
sushil sarna
Loading...