जरूरी है
बेवजह ही सही
मगर.., कभी कभी
रूठ जाना भी जरूरी है
कौन आता है मनाने?
ये जानना भी जरूरी है
कुछ समय के लिए सही
मगर होकर के दूर सबसे
तन्हा रहना भी जरूरी है
कौन अपना है यहां?
ये जानना भी जरूरी है
छुपाकर के दर्द सबसे
महफ़िल में साथ सबके
मुस्कुराना भी जरूरी है
मगर तन्हाई में अकेले
अश्क बहाना भी जरूरी है
वत्सलय रस से अपने
लोगों के दिलों को
जीत जाना भी जरूरी है
मगर टूटे हुए दिलों को
समेटकर जोड़ना भी जरूरी है
किसी की गलती को भुलाकर
माफ़ करना भी जरूरी है
मगर दिल दुखाने वालों को
सख्त सजा देना भी जरूरी है
सफलता की मंजिल को पाकर
जिंदगी में जीत जाना भी जरूरी है
मगर जंग खुदकी खुद से
लड़ जाना भी बेहद जरूरी है
जानते है मौत को तो आना ही है
एक ना एक दिन अदिति
मगर इस जिंदगी को अपने मुताबिक
एक बार जी जाना भी जरूरी है.
– सुमन मीना (अदिति)