जरूरी हुआ!
212 212 212 212
आंख से अश्क गिरना जरूरी हुआ।
मेरे दिल का यूं जलना जरूरी हुआ।
जिंदगी ने हमारा ये हालत किया।
आज फिर सांस गिनना जरूरी हुआ।
नींद आती नहीं चैन आती नहीं।
ख़्वाब में फिर भटकना जरूरी हुआ।
वो हुनर और अपना लहर ना रहा
तो तुफां में यूं बहना जरूरी हुआ।
है चमन चाहता अब न खिलना यहां
पाथरो से यूं मिलना जरूरी हुआ।
जुगनुओं हैं भरोसे तुम्हारे यूं हम।
आज फिर तेरा जलना जरूरी हुआ।
रात काली बहुत रोशनी है नहीं
रात को फिर सुलगना जरूरी हुआ।
धडकनों से यूं दीपक अदावत हुआ।
सांस का यार थमना जरूरी हुआ।
दीपक झा रुद्रा