Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2022 · 1 min read

जरा सी बात पर रूठा बहुत है

जरा सी बात पर रूठा बहुत है।
किसी को इश्क़ ने लूटा बहुत है।

यकीं उसपर भला कैसे करूँ मैं,
जिसे सब जानते, झूठा बहुत है।

गले जिसने मुहब्बत को लगाया,
ग़म-ए- उल्फ़त में फिर टूटा बहुत है।

मुझे अपना समझते थे उन्ही का,
सफ़र में साथ भी छूटा बहुत है।

किसी लड़की के करने पर शिकायत,
हमेशा बाप ने कूटा बहुत है।

अभिनव मिश्र अदम्य

Language: Hindi
Tag: गजल
142 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हर बार नहीं मनाना चाहिए महबूब को
हर बार नहीं मनाना चाहिए महबूब को
शेखर सिंह
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
रूपसी
रूपसी
Prakash Chandra
"पापा की परी"
Yogendra Chaturwedi
अहा! जीवन
अहा! जीवन
Punam Pande
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
Ashish shukla
हाइकु
हाइकु
अशोक कुमार ढोरिया
अनवरत ये बेचैनी
अनवरत ये बेचैनी
Shweta Soni
जीवन
जीवन
Santosh Shrivastava
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
SUNIL kumar
वसंत
वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हो गई जब खत्म अपनी जिंदगी की दास्तां..
हो गई जब खत्म अपनी जिंदगी की दास्तां..
Vishal babu (vishu)
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
"उपबन्ध"
Dr. Kishan tandon kranti
सुभाष चन्द्र बोस
सुभाष चन्द्र बोस
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
तेरे इंतज़ार में
तेरे इंतज़ार में
Surinder blackpen
सच
सच
Neeraj Agarwal
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
Phool gufran
*जो अपना छोड़‌कर सब-कुछ, चली ससुराल जाती हैं (हिंदी गजल/गीतिका)*
*जो अपना छोड़‌कर सब-कुछ, चली ससुराल जाती हैं (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुपुत्र
कुपुत्र
Sanjay ' शून्य'
■ लोक संस्कृति का पर्व : गणगौर
■ लोक संस्कृति का पर्व : गणगौर
*Author प्रणय प्रभात*
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
अरशद रसूल बदायूंनी
मैं घाट तू धारा…
मैं घाट तू धारा…
Rekha Drolia
मौसम तुझको देखते ,
मौसम तुझको देखते ,
sushil sarna
Keep saying something, and keep writing something of yours!
Keep saying something, and keep writing something of yours!
DrLakshman Jha Parimal
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
Smriti Singh
मत रो मां
मत रो मां
Shekhar Chandra Mitra
* नहीं पिघलते *
* नहीं पिघलते *
surenderpal vaidya
बड़ा हिज्र -हिज्र करता है तू ,
बड़ा हिज्र -हिज्र करता है तू ,
Rohit yadav
Loading...