Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2022 · 1 min read

जरा सी बात पर रूठा बहुत है

जरा सी बात पर रूठा बहुत है।
किसी को इश्क़ ने लूटा बहुत है।

यकीं उसपर भला कैसे करूँ मैं,
जिसे सब जानते, झूठा बहुत है।

गले जिसने मुहब्बत को लगाया,
ग़म-ए- उल्फ़त में फिर टूटा बहुत है।

मुझे अपना समझते थे उन्ही का,
सफ़र में साथ भी छूटा बहुत है।

किसी लड़की के करने पर शिकायत,
हमेशा बाप ने कूटा बहुत है।

अभिनव मिश्र अदम्य

Language: Hindi
Tag: गजल
197 Views

You may also like these posts

क़िस्मत से जो मिले, वो नियामत है दोस्ती,
क़िस्मत से जो मिले, वो नियामत है दोस्ती,
Neelofar Khan
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
तज द्वेष
तज द्वेष
Neelam Sharma
डोर आस्था की
डोर आस्था की
इंजी. संजय श्रीवास्तव
आपसे गुफ्तगू ज़रूरी है
आपसे गुफ्तगू ज़रूरी है
Surinder blackpen
चोट खाकर टूट जाने की फितरत नहीं मेरी
चोट खाकर टूट जाने की फितरत नहीं मेरी
Pramila sultan
एक   राखी   स्वयं के  लिए
एक राखी स्वयं के लिए
Sonam Puneet Dubey
ভাল পাওঁ
ভাল পাওঁ
Arghyadeep Chakraborty
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
नवरात्रि (नवदुर्गा)
नवरात्रि (नवदुर्गा)
surenderpal vaidya
ये जरूरी तो नहीं
ये जरूरी तो नहीं
RAMESH Kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
नवरातन में बकरा...
नवरातन में बकरा...
आकाश महेशपुरी
मैं मोहब्बत हूं
मैं मोहब्बत हूं
Ritu Asooja
आइना बोल उठा
आइना बोल उठा
Chitra Bisht
ବାଉଁଶ ଜଙ୍ଗଲରେ
ବାଉଁଶ ଜଙ୍ଗଲରେ
Otteri Selvakumar
" तो "
Dr. Kishan tandon kranti
दहेज ना लेंगे
दहेज ना लेंगे
भरत कुमार सोलंकी
शायरी
शायरी
Phool gufran
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
sushil sarna
यही है हमारा प्यारा राजनांदगांव...
यही है हमारा प्यारा राजनांदगांव...
TAMANNA BILASPURI
वर्तमान में जितना लोग सेक्स के प्रति आकर्षित है यदि उतना ही
वर्तमान में जितना लोग सेक्स के प्रति आकर्षित है यदि उतना ही
Rj Anand Prajapati
*खुशी के आँसू (छोटी कहानी)*
*खुशी के आँसू (छोटी कहानी)*
Ravi Prakash
खुद से मुहब्बत
खुद से मुहब्बत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्रेम
प्रेम
हिमांशु Kulshrestha
जितनी बार भी तुम मिली थी ज़िंदगी,
जितनी बार भी तुम मिली थी ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
9. पहचान
9. पहचान
Lalni Bhardwaj
मन की बुलंद
मन की बुलंद
Anamika Tiwari 'annpurna '
उस के धागों में दिल के ख़ज़ाने निहाँ
उस के धागों में दिल के ख़ज़ाने निहाँ
पूर्वार्थ
23/24.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/24.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...