जरा देखिये….
ज़माने का कैंसा चलन है निराला जरा देखिये |
उन्होंने ही काटा जिन्हे मैंने पला जरा देखिये ||
वो करते रहे हैं दुआ मेरे मरने की खातिर सदा |
दिया है जिन्हे मैंने मूं का निवाला जरा देखिये ||
मिलेगा तुम्हे जितना बहार से सुंदर सलोना बदन |
वो अंदर से उतना ही निकलेगा काला जरा देखिये ||
कैंसे कहुँ उन दरख्तों ने कितना सताया मुझे |
जिन्हे पानी दे दे के सींचा सम्हाला जरा देखिये ||
मेरी आबरू के निगहवान बन कर रहे जो सदा |
उन्होंने बड़े शौक से बेच डाला जरा देखिये ||
कई रातें गोदी में ले करके जिनको सिसकता रहा |
मुझे आज उनने ही घर से निकाला जरा देखिये ||