जय शिवशंकर
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जय शिवशंकर
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कंकर -कंकर से मैं पूछूँ कहाँ मिलेंगे शंकर ।
कंकर-कंकर में शंकर है बोला कंकर-कंकर ।।
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कौन गली कैलाश को जाती है वो कौन डगरिया ,
जहाँ मिलेंगे गौरी शंकर है वो कौन नगरिया ,
पत्ता-पत्ता बोला भोले बसते मन के अंदर ।
कंकर……………….।।1।।
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तीन लोक के रखवारे का कोई पता बता दे ,
दर-दर डगर-डगर मैं भटकूँ कोई राह दिखा दे ,
माँटी बोली भोले का तो एक-एक कण मंदर ।
कंकर ……………..।।2।।
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ओ गंगा के नीर ! नाथ की कैसी छवि लगती है ?
गौरी के सँग बाबा की कैसी जोड़ी सजती है ?
बोली गंगा नयन बंद कर दर्शन कर ले अंदर ।
कंकर………………।।3।
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राधे…राधे…!
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-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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