जय माता शेरांवाली
***** शेरांवाली माँ (भेंट) ******
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शेरांवाली शेर पर सवार आई है,
पीछे-पीछे भक्तों की कतार आई है।
ऊंचे पर्वत हैं निवास मैया रानी का,
जन गण मन में वास मैया रानी का,
पहाड़ों से शीतल सी बयार आई हैं।
पीछे-पीछे भक्तों की कतार आई है।
सिर सुनहरी सुन्दर मुकुट जड़ा है,
रक्षक बन कर माँ का शेर खड़ा है,
हाथों में ले कर वो तलवार आई है।
पीछे-पीछे भक्तों की कतार आई है।
दीन-दुखियों की आवाज सुनी है,
अड़कर आगे खुद वो ढाल बनी है,
खुशियों की भर कर बहार आई है।
पीछे-पीछे भक्तों की कतार आई है।
हलवे पुरी का आज भोग लगाएंगे,
भेंटे गाकर हम सब मां को मनाएंगे,
साध – संगत माँ के दरबार आई है।
पीछे -पीछे भक्तों की कतार आई है।
मनसीरत सवाली मैया को पुकारे,
दिनेश के बिगड़े माता भाग्य सुधारे,
रंग रंगीली रौनक बेशुमार आई हैं।
पीछे -पीछे भक्तों की कातर आई है।
शेरांवाली शेर पर सवार आई है,
पीछे-पीछे भक्तों की कतार आई है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)