जय भोलेनाथ
जय भोलेनाथ
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निशदिन मन लागे तुझ शरणम्।
तुझ दर्शन बिन रहे व्याकुल मेरा मन।
मै भटक ना जाऊं कही किसी कदम।
बन परछाई रहो मेरे संग हरदम।
हे शिवशंकर ! मन तम शरणम
दिन –रात मैं गाऊं तेरा भजन।
मन कलुष है उसे करो पावन।
निज स्वार्थ को न करु कोई करम।
कभी न बिसराऊ अपना धरम।
हे भोलेनाथ ! मन तम शरणम।
इस जग से मिटा दो बैर भरम।
हर मनुज करे नित स्वयं करम।
न द्बेष पले कही किसी हृदयम।
बसे दया धर्म ही हर हृदयम।
हे महादेव ! मन तम शरणम।
देवो को पान करा अमृतम।
स्वयम् पीते गये विष घटकम।
तेरा नाम नीलकंठ मुझे प्रिय।
बने देवो के देव तुम सर्वप्रियम।
हे नीलकंठ मन तम शरणम्।
हे शंभूनाथ माँ उमा संग हो गजाननम।
कर धर दो शीश करो सफल जनम।
हे देवादिदेव ! मम तम शरणम।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड