जय भारत
केसरीया बन गया हिन्दू देखो ,
हरा बना पैठानी
धर्मग्रंथों का मोल भुलाकर ,
रंगों पे बनी कहानी
जब सारी चीजें बाँट दी तो,
बाँट भी देता पानी
गंगा यमुना हिन्दू पीते ,
मुसलमान करता सिंधु पे निगरानी
धर्मगुरू हैं ढ़ोंग रच रहे ,
करते हैं हर पल मनमानी
भक्त हर तरफ सड़कों पे ,
कर रहे हैं लाठी तानातानी
एक नहीं हैं सब ऐसे हैं ,
हर जगह मिलती है राम निशानी
एक बार है बंट गया भारत,
हैं दोबारा बँटवारे की ठानी
अल्लाह के मत पीछे भागो ,
क्या वो देता चारा पानी
या भिखमंगो के घरों में ,
क्या मिलती है दुर्गा भवानी
हरे राम का जाप लगाते ,
मूर्खों ने कैसी दी कुर्बानी
धर्म के नाम में क्यूं उलझे हो ,
कैसी है ये नादानी
रे ग़ाफिल!आँखें खोलो अपनी ,
देखो अपनी परेशानी
अपने आप को सबल करोऔर,
दुश्मनों को पानी पानी
गांधी ,भगत ,सुखदेव को पूजो ,
पूजो झांसी की रानी
घर घर में केवल जन गण हो ,
हर शख्स बनो बस हिंदुस्तानी।
: आलोक (गीत)