जय गणपति
करूँ विनती
जोड़ हाथ
न छोड़े कभी
गणपति साथ
है मंगल मूर्ति
जग पालनहार
नहीं बिसराऊँ
पहनाऊॅ
मुतियन हार
लड्डू मोदक
लगाऊँ भोग
दूर हो जाऐ
सब रोग संताप
है विश्व में
पूज्य बप्पा
करूँ
नित पूजन
तुम्हारी
बप्पा
करो
सफल
मनोरथ
सबके
देखूं मूरत
गणपति
मैं तक के
करूँ स्वागत
बप्पा आपका
आओ हर साल
मेरे द्वारे
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल