जयद्रथ बध
चक्रब्यूह में फंसे अभिमन्यु को
आज कायरों ने घेर कर था मारा
इसके अतिरिक्त कौरवों के पास
उन्हें रोकने का नहीं कोई था चारा
इन सब बातों से अनभिज्ञ अर्जुन
रणक्षेत्र में ही दूर कहीं खड़ा था
चक्रब्यूह के किसी भी चाल का
भनक भी उनको नहीं पड़ा था
जब यह संवाद किसी सूत्र से
पहुॅंचा पिता अर्जुन के पास
बिना बिलम्ब किये वह चल पड़ा
करने उस चक्रब्यूह की तलाश
भिज्ञ हुआ जब सारी बातों से
क्रोध से उनका चेहरा हुआ लाल
बदले की आग में जल रहा था
और जयद्रथ को था छुआ काल
अर्जुन के चेहरे पर अंगार देख
अर्जुन को कोई नहीं रोक पाएगा
सिंध नरेश के इस काल के कारण
कौरवों में आज शोक छा जाएगा
कपट नीति से हुए चक्रब्यूह में
अभिमन्यु के बध का समाचार
चल रहे कुरुक्षेत्र के समर में
मच गया था चहुंओर हाहाकार
रणभूमि में पुत्र ने वीरगति पाया
इस बात का मुझे कोई मलाल कहाॅं
पर वार करने वाले उन कायरों का
अब मुझसे बड़ा कोई काल कहाॅं
अकेले योद्धा पर विजय पाने को
सब कायरों ने हाथ मिलाया था
मृत्यु के बाद भी निष्ठुर जयद्रथ ने
मृत शरीर को लात से हिलाया था
अपनी दृष्टि पुत्र पर रख कर
अर्जुन ने कर डाला संकल्प
कल के सूर्यास्त तक ही शायद
जयद्रथ के जीने का टाला विकल्प
अब काल भी नहीं जयद्रथ को
अर्जुन के कोप से बचा पाएगा
कल सूर्यास्त तक बध न करुॅं तो
भस्म होकर इतिहास रचा जाएगा
अगले पूरे दिन ही जयद्रथ पर
रहा कौरवों के रक्षा का छाया
अर्जुन से न हो जाय सामना
दिन भर सन्मुख नहीं आया
सबकी आंखों में है एक प्रश्न
सूर्यास्त बाद आज क्या होगा
क्या अर्जुन भस्म हो जाएगा
या जयद्रथ बध कर न्याय होगा
सब योद्धा भयाकुल हो आज
आकाश की ओर ही देख रहा
कोई सूरज से नहीं डूबने का
कोई डूबने की याचना कर रहा
जब कृष्ण ही हो अर्जुन के संग
तब उन्हें किस बात से डरना था
छल भी हो जाय तो भी हो सही
पर संकल्प तो पूरा करना था
आज युद्ध के अन्तिम काल में
अर्जुन पर हुआ सम्मिलित प्रहार
उसी पल बासुदेव ने चुपके से
सूर्य पर ढ़क दिया माया का हार
निराश हुए अर्जुन को देख कर
शत्रु वहाॅं खुशी से उछल पड़ा
उत्साहित होकर जयद्रथ भी
अर्जुन के सन्मुख हुआ खड़ा
पल में बासुदेव की माया हटी
सूरज की किरणें धरा पर पड़ी
हताश अर्जुन की विस्मित ऑंखें
थी सामने खड़े जयद्रथ पर गड़ी
क्षण को गंवाए बिना अर्जुन ने
वाणों से कुरुक्षेत्र को दिया पाट
मृत्यु से निश्चिंत हुए जयद्रथ का
सर को तुरंत धड़ से दिया काट