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8 May 2020 · 1 min read

जमीनें छीन के करते

सिखाते क्यों हमें हो तुम वही इतिहास की बातें
दिलों में घोलकर नफरत नये विश्वास की बातें

*
बताओ घर बनेगा क्या हमारा आसमानों में
जमीनें छीन के करते सदा आवास की बातें

*
कहाँ से हो कठौती में हमारे गंग की धारा
बिठाई ना मनों में जब कभी रविदास की बातें

*
बहाकर अश्क भी यारो कहाँ दुख दूर होते हैं
गमों से पार पाने को करो परिहास की बातें

*
हमारे देवता जो हैं करम तक आ न पाये हैं
दिया पतझड़ हमेशा ही, कही मधुमास की बाते

*
हुआ होगा कभी मजनू जिसे था प्यार रूहों से
मगर इस युग चली आयी सदा सहवास की बातें

*
मुझे लगती नहीं अच्छी ‘मुसाफिर’ फितरतें तेरी
अगर बरसात भी हो तो करोगे प्यास की बातें
*

© लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

1 Like · 2 Comments · 356 Views
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