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13 Apr 2022 · 1 min read

जमीं को थामे रखता हूँ तो हाथों से सितारे जाते हैं

गली गली हथकड़ियों मे बांध कर गुजारे जाते हैं
सलीबों पे मसीहा आज भी टांग कर मारे जाते हैं

खुद्दारों की लाशों पे पहले भरपूर नुमाइश होती है
एक अरसे बाद जाकर फिर जनाजे उतारे जाते हैं

जीते जी जिनके नाम ओ काम से नफरत होती है
मरने के बाद उनके नाम तस्बीह पर पुकारे जाते हैं

कभी कभार ही दरियादिली का ये मौसम आता है
कभी कभार ही रस्तों के ये किनारे सुधारे जाते हैं

सितारों को थामे रखता हूँ तो,हाथों से जमीं जाती है
जमीं को थामे रखता हूँ तो,हाथों से सितारे जाते हैं
मारूफ आलम

1 Like · 168 Views
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