जमाने की राहें
चलते रहो राहों पर जमाने की ,राहें कब बदल जाएं कहना मुश्किल ।।
कब घोंप दे कोई अपना ही पीठ पर खंजर ,आहें कब निकल आएं कहना मुश्किल ।।
बहुत नाज है जिस याराने पर ,यार कब फिसल जाएं कहना मुश्किल ।।
दुनिया संग प्यार की डोर बांधे रखो , डोर कब जल जाए कहना मुश्किल ।।
पालते रहो हसरतों पे हसरतें ,कितनी कब दम तोड़ जाएं कहना मुश्किल ।।
लगाते रहो गले हर रिश्ते को, कितने कब मुंह मोड़ जाएं , कहना मुश्किल।।
प्यार के पंछी बन फड़फड़ाते रहो पंखों को,कितने कब झड़ जाएं कहना मुश्किल।।
गोता लगाते रहो प्यार के सागर में ,मीत कब लड़ जाएं कहना मुश्किल।।
ख्वाब देखने में बुराई भी क्या है ,पर नींद कब खुल जाए कहना मुश्किल।।
बहुत बेरहम दौर भी आते हैं जिंदगी में, आंखे कब धुल जाएं कहना मुश्किल।।
कितना निभा सकोगे फर्ज जिंदगी का, है अनजाना कहना मुश्किल।।
कितना चढ़ गया कर्ज जिंदगी का, नहीं कोई पैमाना, कहना मुश्किल।।
चलते रहो राहों पर जमाने की , राहें कब बदल जाएं कहना मुश्किल।।
कब घोंप दे कोई अपना ही पीठ पर खंजर,आहें कब निकल आएं ,कहना मुश्किल।।