जमाना गुज़र गया
हंसी खुशी बहार वाला
वो जमाना गुज़र गया
ढूंढता शमा को शब में
वो परवाना गुज़र गया
इश्क़ की रिवायत का
वो पयमाना गुज़र गया
मुड़ कर के देखने का
वो बहाना गुज़र गया
बेफिक्री से जीने वाला
वो बचपन गुज़र गया
चूल्हे में पकती खीर का
वो फ़साना गुज़र गया
अपनत्व मिठास वाला
वो भाईचारा गुज़र गया
चिट्ठी को लिखने का
वो दौर अब गुज़र गया
चौपालों में रिश्ते वाला
वो जमाना गुज़र गया।
– सुमन मीना (अदिति)