#जब से भुले द्वार तुम्हारे
#नमन मंच
#दिनांक २८/१०/२०२४
#विषय जब से भुले द्वार तुम्हारे
#विद्या गीत
तेरे बिना…
तेरे बिना मेरी दुनियां अधूरी,
ढूंडू कहां.. मैं. तुझे धुंडू कहां !
जबसे भुले वो द्वार तुम्हारे…
जबसे भुले वो द्वार तुम्हारे,
रूठी किस्मत अपने पराये,
दूर हुए सारे साथी हमारे,
जगमग सितारे बुझ गए सारे,
बुझ गए सारे…
बिन बादल सावन भी बैरी,
जाऊं कहां…प्यास बुझाऊं कहां,
तेरे बिना मेरी दुनियां अधूरी,
ढूंडू कहां मैं तुझे धुंडू कहां !
कौन है वो जो नैया पार लगायें…
कौन है वो जो नैया पार लगायें,
मांझी बिना हमसे ना हो पायें,
राह भटककर दुर चलें आयें,
संगी साथी हमको ना बचायें,
हमको ना बचायें…
डर लगता है परछाई से भी,
ढूंडू कहां मैं तुझे धुंडू कहां,
तेरे बिना मेरी दुनियां अधूरी,
ढूंडू कहां मैं तुझे धुंडू कहां !
ढूंडू कहां…
ढूंडू कहां…
ढूंडू कहां……….
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान